कहानी रमेश  की जिसके पास पिता के अंतिम संस्कार में जाने का किराया भी नहीं था वह कैसे बना UPSC TOPPER

रमेश घोलप महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के रहने वाले हैं।

बचपन में रमेश के बाएं पैर में पोलियो हो गया था, जिसके कारण उनका बचपन काफी तकलीफों मे गुजरा.

रमेश के पिता शराब पीने के आदी थे, जिसके कारण उनका पूरा परिवार सड़क पर आ गया था

परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उनकी माँ ने आस-पास के गाँवों में चूड़ियाँ बेचा करती थी

रमेश जानता था कि केवल शिक्षा ही उसके परिवार की गरीबी को दूर कर सकती है, इसलिए उसने खुद को पढ़ाई के प्रति समर्पित कर दिया.

इसके बाद रमेश अपनी आगे की पढ़ाई के लिए चाचा के पास चले गये थे. लेकिन

गरीबी के ऐसे दिन थे कि उनके पास अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए 2 रुपये भी नहीं थे

उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था. लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और 12वीं की परीक्षा 88% अंकों के साथ पास की।

12वीं के बाद उन्होंने एजुकेशन में डिप्लोमा किया और 2009 में टीचर बन गए. लेकिन रमेश यहीं रुकने वाले नहीं थे

उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरे मन से आईएएस परीक्षा की तैयारी में लग गए

कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार उन्होंने 2012 में सिविल सेवा परीक्षा में 287वीं रैंक हासिल की.